शासन के नियमो को और मौलिक सुविधाओ को दरकिनार कर चल रहे कोचिंग संस्थान ।
अशासकीय विद्यालय संगठन आष्टा ने ज्ञापन पत्र सौंपकर अनुविभागीय अधिकारी से की मुलाकात ।
आष्टा की आवाज / नवीन कुमार शर्मा
आष्टा - विधार्थियों को लुभावने सपने दिखा कर उनसे मोटी फीस वसूलने का कोचिंग सेंटरों का ट्रेंड चल रहा हे जो आष्टा नगर में बिना किसी रोक टोक के धड़ल्ले से चल रहा हे विधार्थियों को स्कूल से दूर कर अपनी कोचिंग पर बुलाने का सिलसिला पिछले कई वर्षो से चल रहा हे इस संबंध में अशासकीय विद्यालय संगठन आष्टा के सदस्य ने आज अनुविभागीय अधिकारी महोदय से भेट कर उन्हे इस विषय से अवगत कराया ।
अग्निशमन यंत्र,बैठने के लिए पर्याप्त जगह,पीने के लिए शुद्ध जल,बालक ,बालिकाओं के लिए अलग अलग शौचालय,प्रवेश फार्म भरकर एडमिशन देना,फीस की रसीद,अलग अलग विषयो की फीस को नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना,निशक्तो के लिए रैंप जैसी जरूरी सुविधाओ से विहीन नगर के कोचिंग संस्थान सुबह से ही अपनी कक्षाएं प्रारंभ कर देते है। जो देर रात्रि तक चलती रहती हे
इन सबसे महत्वपूर्ण पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता क्या आपने सोचा हे जो आपके बच्चो को पढ़ा रहे हे वे कितने पढ़े लिखे हे विज्ञान विषय से स्नातक और पढ़ा रहे गणित और गणित में स्नातक पढ़ा देते हे अंग्रेजी ये केसे संभव हे कुछ तो कॉमर्स से स्नातक करने वाले गणित जैसे विषय पड़ा रहें हे।
फिजिक्स में सो प्रतिशत अंक दिलाने का लालच देने वाले कोचिंग संचालक के कितने अंक हे उनकी अंकसूची को एक बार पालकों को जरूर देखना चाहिए ।
कुछ कोचिंग संस्थान तो विधार्थियों को गाइड,कुंजी, जेसी आवश्यक सामग्री भी बेच रहे हे । जब आपने इतना अच्छा पढ़ाया हे तो गाइड और कुंजी की क्या आवश्यकता हे ये भी विचारणीय है
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की शिकायत पर नए आदेशानुसार 16 वर्ष से कम आयु के बच्चो को कोचिंग पढ़ाने की अनुमति नहीं हे जिसकी अवहेलना पूरे नगर में खुले आम हो रही हे और प्रशासन खुली आंखों से सब कुछ देख रहा हे ।
बात करे शिक्षा विभाग की तो लगता है उनको इस विषय से कुछ लेना देना ही नही हे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात कहकर टाल दिया जाता हे । बच्चो की संख्या कक्षाओं में लगातार कम हो रही हे या फिर कुछ समय के लिए ही स्कूल में आते ही विधार्थी फिर कोचिंग जाने के नाम पर छुट्टी दे दी जाती है ।
शासन द्वारा योग्य और अनुभवी शिक्षको की भर्ती की जाती है जिनकी व्यापम द्वारा परीक्षा पास कर पढ़ाने वाले विषय सौंपे जाते हे पर ये समझ से परे हे की शासन ने जिन्हे योग्य मानकर नोकरी दी हे उनसे ज्यादा योग्य तो वे कोचिंग संचालक नजर आ रहे हे जो परीक्षा पास ही नही कर पाए और कोचिंग सेंटर चला रहे हे जिनके पास स्कूल के अध्यापक पढ़ने जाने के लिए स्कूल के समय में ही बच्चो को छुट्टी दे देते हे एक बार हर स्कूल की सुबह और शाम दोनो टाइम की अटेंडेंस लेने से ये अंदेशा यकीन में बदल जायेगा ।