हिन्दू उत्सव समिति ने आयोजित की बैठक

हिंदू उत्सव समिति के कार्य की सराहना करना और उसने कमियां ढूंढना नजरिए की बात हे 


बात हे हिंदू उत्सव समिति द्वारा आयोजित बैठक की जिसमे दशहरा उत्सव के लिए अध्यक्ष का हुआ चयन 


आष्टा की आवाज / नवीन कुमार शर्मा

 आष्टा ऐसा लगता है , हिंदू उत्सव समिति की बैठक में  ध्वनि मत से हुआ  निर्णय शायद इस बार विघ्नसंतोषियो के गले नही उतर रहा ?

यही वजह हो सकती है की  जिस दिन से दशहरा समिति के अध्यक्ष का मनोनयन हुआ जबसे ही कथित लोग सोशल मीडिया का सहारा लेकर हिंदू उत्सव समिति पर बैगर सिर पैर के आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हे।

 जबकि लोगो का कहना  हे की  सनातन समाज की सबसे बड़ी और प्रमुख  हिंदू उत्सव समिति ने बैठक में सारा निर्णय हाजिर नाजिर  जनता की भावनाओ और समर्थन को देख विवेक पूर्ण लिया , और त्योहार की गरिमा और ऐतिहासिकता को बरकरार रखा ।

लेकिन हैरत होती है की बीते समय में हिंदू उत्सव समिति द्वारा मनाए ऐतिहासिक त्योहारों  के लिए साधुवाद की पात्र बनने वाली हिंदू उत्सव समिति के इस निर्णय में ऐसा कोनसा  पक्षपात या त्रुटि हो गई की गुणगान करने वाले झूठी निंदा पर उतर आए ? 

जबकि देखा जावे तो  हिंदू उत्सव समिति द्वारा  लिया गया  निर्णय सनातन समाज और त्योहार की गरिमा के अनुरूप ही  हुआ ।

   यह अलग बात है की  झूठी ऐठन और स्वार्थ से ग्रसित गिनती वार लोगो को यह निर्णय रास नहीं आ रहा, जबकि शहर का बुद्धिजीवी वर्ग आज हिंदू उत्सव समिति के इस निर्णय की सराहना कर रहा हे।

,   जनकारो का कहना हे की हिंदू उत्सव समिति द्वारा आयोजित  इस बैठक में  सब कुछ शांतिप्रिय तरीके से  हो रहा था किंतु कुछ लोग जो प्रायोजित कलाकार  थे जब वे अपने प्लान में कामयाब नही हुए तो  उन्होंने गलत तरीका अपना कर  गलतफहमी पैदा कर बैठक में माहोल बिगाड़ने  का असफल प्रयास  किया ,  किंतु जागरूक लोगो ने  मामला बिगड़ने से पहले ही संभाल लिया ।  लेकिन जिस तरह से कथित लोग  पक्षपात का आरोप लगाते हुए माहोल गंदा करने का प्रयास कर रहे थे।

 उससे  यह अंदाज तो आसानी से लगाया जा सकता है की यह सारी करतूत भी   समाज के लिए समर्पित हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष को  नीचा दिखाने का एक प्रयास भर ही थी ।

 यह भी जग जाहिर हे की हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष की मेहनत और  उसका सनातन समाज के प्रति समर्पण हमेशा ही विरोधियों के प्रयासों को विफल करता  आया है।

 और  इस बार भी ऐसा ही कुछ  प्रतीत हो रहा है ।

 हिंदू उत्सव समिति अध्यक्ष के  इस फैसले की  पूरे शहर में हर तरफ तारीफ हो रही है, यह अलग बात हे  की  इस निर्णय ने एक बार और  विरोधियों के दाव पेंचो पर  भी सिरे से पानी फेर दिया है।

   पर इतना जरूर है की इस सारे हंगामे और सोशल मीडिया पर चल रहे आरोप प्रत्यारोप ने हिंदू उत्सव समिति को और  विजया दशमी त्योहार के लिए मनोनित अध्यक्ष को  और अधिक संबल प्रदान कर दिया हे , क्योंकि सुनने में आ रहा हे की  इस बार दशहरे का पर्व  बहुत ही उत्साह पूर्ण होकर ऐतिहासिक मनेगा। 

  अब सारे घटित घटनाक्रम को देखकर हम तो बस यही *कहेंगे* की कालू का ट्रिगर वाजिब निशाने पर दब गया ।

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