हिरण कांड, वन विभाग की कार्यवाही और सूचनाकर्ताओ के भ्रमित करने वाले बयान
आष्टा की आवाज / नवीन कुमार शर्मा
आष्टा -
ऐसा हम इस लिए कह रहे है क्योंकि सूचनाकर्ताओं का भ्रमित बयान यह सब सोचने पर विवश कर रहा है , विगत 8 फरवरी को ग्राम खजुरिया कासम के जंगल में किसी हिरण के मरे होने की सूचना वन विभाग को मिली थी , सूचना कर्ता की सूचना पर हिरण तो मिल गया , किंतु केसे मरा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं , फिर एक अनसुलझे फोटो का वायरल होना और उसी को आधार बनाकर जिस तरह से वन विभाग के अधिकारियों ने अपनी सफलता के झंडे गाड़ने का खेल रचाया वह आज पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है , क्योंकि सूचना कर्ता का कहना है की हमने भी किसी को मारते नही देखा और ना ही हमने कोई फोटो खींचा हे , जो फोटो वायरल हो रहा है उस फोटो से हमारा कोई सरोकार नहीं है, हमने भी घमाका सुना था और 4 से 5 लोगो को भागते देखा था , ऐसे में कैसे विश्वास करे की जो भी कार्यवाही हुई ही है, वह एकदम सही है ?
क्योंकि विभाग ने जिस तरह से मामले का खुलासा किया वह आज भी बुद्धिजीवियों के गले नही उतर रहा । मामले को लेकर किए खुलासे को देखकर यह भी तो नहीं कह सकते की चलो देर से आए दुरुस्त आए। विभाग द्वारा जब फोटो को ही आधार बनाया था तो फिर ऐसी क्या वजह रही होगी की विभाग ने लगभग 10 दिन मामले की जांच को लेकर लगा दिए ? जबकि फोटो तो शुरू दिन ही विभाग के पास आ गया था । कही ऐसा तो नहीं की विभाग ने कथित मामले में झूठी वाह वाही के लिए इस फोटो जा इस्तेमाल कर लिया हो, क्योंकि जिस तरह से मामले को खुलासा करने के लिए वन विभाग जिला डीएफओ और एसडीओ आए थे और अपने पसंदीदा लोगो के सामने मामले का खुलासा करके गए वह भी यह सब कुछ सोचने के लिए मजबूर कर रहा है, वरना क्या वजह हो सकती थी की इतने बड़े मामले के खुलासे के लिए पूरी प्रेस को नही बुलाया ?
ऐसे में हम तो यही कहेंगे कि चोर की दाढ़ी में तिनका था , वरना सभी मीडिया कर्मियों को अवश्य ही बुलाते।
अब यह हिरण मामला और विभाग की कार्यवाही कितनी सही हे यह तो न्यायालय में पता चलेगा पर अभी तो विभाग ने अपने तरीके से अपनी पीठ जरूर थपथपा ली । खुलासे में हुई देरी भी बताती है की इस मामले में विभाग भी प्रमाणों को लेकर पुख्ता संतुष्ट नहीं रहा हे । और अचानक आनन फानन में चंद अपने पसंदीदाओ के सामने मामले का खुलासा कर दिया और अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली।
जबकि सूचना को बड़ा आधार मान कर की गई कार्यवाही में कही भी यह पता नही चल रहा हे की हिरण का शिकार हुआ है, विभाग को और पुलिस को सूचना देने वाले प्रथम सूचना कर्ता से जब हमने मामले की वास्तविकता को जानने का प्रयास किया तो उनका कहना है की हमने गिट्टी मशीन के पास धमाके की आवाज सुनी थी, और पास में गए तो एक हिरण का बच्चा मृत अवस्था में पड़ा था और कुछ लोग भाग रहे थे अब हिरण को किसने मारा कब मारा किस वस्तु से मारा हमारे द्वारा कुछ भी नही देखा गया , यह जरूर हे की धमाके की आवाज सुन कुछ 4 से 5 लोग भागते जरूर नजर आए पर वह भी कोन थे हम नही जानते । और ना ही हमने कोई फोटो खींचा है हम किसी को नही जानते
अब प्रश्न यह उठता है की धमाका हुआ है तो फिर वन विभाग आरोपी के पास छर्रे वाली बंदूक क्यों बता रहा हे ,? वही कथित फोटो के आधार पर विभाग ने कैसे मुलजिम बना लिए ? जबकि कथित फोटो भी अनसुलझा हैं जिसमे कुछ भी साफ पता नही चल रहा ।
इससे पता चलता हे वन विभाग ने अपने तौर तरीके से पूरा मामला रच लिया और अपनी पीठ थप थपा ली। बड़ी बात यह भी हैं की वन विभाग के जिले के अधिकारी डीएफओ एम एस डाबर और एसडीओ राजेश शर्मा भी स्थानीय वन विभाग के इस कथित खेल में शामिल हो गए।
कथित हिरण कांड के सभी पहलुओं पर ध्यान देवे तो वन विभाग द्वारा की गई कार्यवाही भी पूरी तरह से सवालों के घेरे में नजर आती है , और जिले के वन अधिकारियों उपस्थिति भी बहुत कुछ सोचने पर विवश कर रही हैं,।