हिरण कांड, वनविभाग की कार्यवाही शंका के घेरे में
आष्टा की आवाज / नवीन कुमार शर्मा
आष्टा। वन परिक्षेत्र आष्टा का हिरण कांड में हुई कार्यवाही और उसके आनन फानन में हुए खुलासे के बाद आष्टा वन विभाग के अधिकारी सहित जिले में बैठे आला अधिकारियों की कार्यप्रणाली अब संदेहास्पद लगने लगी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीती 8 फरवरी को ग्राम खजुरिया कासम के जंगल में एक हिरण जो की मृत अवस्था में होकर वन विभाग को जानकारी मिली थी साथ ही एक अनसुलझा फोटो भी इस हिरण कांड को लेकर वायरल हो रहा है। घटना की सूचना या मुखबिर के आधार पर जिस तरह से वन विभाग द्वारा कथित पसंदीदा लोगो की उपस्तिथि में मामले का खुलासा कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया वहा भी विभाग द्वारा की गई कार्यवाही को संदेह के घेरे में खड़ा कर रही है। घटना दिनांक के बाद दो दिन में दोनो मुल्जिमो का मिल जाना भी बहुत आश्चर्यचकित लग रहा है।
हम यह भी नहीं कहते है की हिरण का शिकार नही हुआ जो वास्तविकता में दोषी हो उसे सजा भी मिलनी चाहिए किंतु बगैर किसी ठोस प्रमाण के एक अनसुलझे फोटो को आधार बना कर विभाग द्वारा किया गया खुलासा बताता है की आला अधिकारियों ने सारा खेल प्रायोजित तरीके से खेला है। आपको बता दे ताबड़तोड़ तरीके से हुए खुलासे के बाद जब हमने आष्टा वन परिक्षेत्र अधिकारी से दूरभाष पर मामले को समझना चाहा तो वहा भी तर्क संगत जवाब नही दे पाए और पल्ला झाड़ते नजर आए। वही एसडीओ फारेस्ट राजेश शर्मा से तो उन्होंने फोन तक उठाना मुनासिब नहीं समझा। ऐसे में हिरण कांड के खुलासा करने वाले पूरे घटनाक्रम पर शंका होना लाजमी हो जाता है। विदित रहे अक्सर वन विभाग इस तरह के वन्य प्राणियों के मामले में पुख्ता प्रमाण संकलित नही कर पाती है और आरोपी बच निकल जाते है।